Train Ki Patri ke ek Hisse Par High Voltej Karant ka Taar Gir jae to Kya Hoga
Train Ki Patri ke ek Hisse Par High Voltej Karant ka Taar Gir jae to Kya Hoga
⚠ This post made for Educational purposes only
नमस्ते! आपकी चिंता स्वाभाविक है। आइए इस स्थिति को समझते हैं:
अगर रेल की पटरी के किसी एक हिस्से पर हाई वोल्टेज करंट का तार गिर जाए या लगा दिया जाए, तो पूरे देश भर की समस्त पटरियों में करंट नहीं दौड़ेगा।
इसके कुछ मुख्य कारण हैं:
* विद्युत परिपथ का अधूरा होना: करंट को प्रवाहित होने के लिए एक पूर्ण परिपथ (closed circuit) की आवश्यकता होती है। रेल की पटरियाँ जमीन से जुड़ी होती हैं और एक इंसुलेटेड सिस्टम नहीं बनाती हैं कि करंट पूरे नेटवर्क में फैल जाए। करंट को वापस स्रोत तक पहुँचने के लिए एक विशिष्ट मार्ग चाहिए होता है।
* विद्युत प्रतिरोध: पटरियाँ धातु की बनी होती हैं, जो विद्युत की सुचालक हैं, लेकिन उनमें कुछ मात्रा में प्रतिरोध होता है। जैसे-जैसे करंट लंबी दूरी तक प्रवाहित होता है, प्रतिरोध के कारण उसकी शक्ति कम होती जाती है।
* खंडित संरचना: रेल नेटवर्क कई अलग-अलग खंडों में विभाजित होता है। हर खंड सीधे एक ही पावर स्रोत से जुड़ा नहीं होता है।
कितनी एरिया तक करंट फैलेगा:
High Voltej Karant
करंट का फैलाव कई कारकों पर निर्भर करेगा, जैसे:
* वोल्टेज: हाई वोल्टेज करंट का प्रभाव कम वोल्टेज की तुलना में अधिक दूरी तक हो सकता है।
* जमीन की नमी: गीली जमीन विद्युत की बेहतर सुचालक होती है, जिससे करंट अधिक दूरी तक फैल सकता है।
* पटरी की बनावट और संपर्क: पटरी किस प्रकार से जमीन से जुड़ी है और अन्य पटरियों से उसका संपर्क कैसा है, यह भी करंट के फैलाव को प्रभावित करेगा।
आमतौर पर, करंट उस विशेष खंड या उसके आस-पास के कुछ हिस्सों तक ही सीमित रहेगा जहाँ तार गिरा है या लगाया गया है। यह कुछ मीटर से लेकर कुछ किलोमीटर तक हो सकता है, लेकिन यह पूरे देश में नहीं फैलेगा।
यात्री बच पाएंगे या नहीं:
यह एक गंभीर स्थिति है और यात्रियों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। खतरा इस बात पर निर्भर करेगा कि यात्री कहाँ पर हैं:
* ट्रेन के अंदर: यदि ट्रेन अच्छी तरह से इंसुलेटेड है, तो ट्रेन के अंदर बैठे यात्रियों को सीधे करंट लगने का खतरा कम हो सकता है। हालांकि, उन्हें ट्रेन से उतरने या किसी धातु के हिस्से को छूने से बचना चाहिए।
* प्लेटफॉर्म पर: प्लेटफॉर्म पर खड़े यात्रियों को पटरी के पास होने पर करंट लगने का खतरा हो सकता है, खासकर यदि जमीन गीली हो।
* पटरी पर: पटरी पर मौजूद व्यक्ति के सीधे करंट की चपेट में आने की संभावना बहुत अधिक होती है, जो जानलेवा हो सकता है।
बचाव के उपाय:
ऐसी स्थिति में सबसे महत्वपूर्ण है:
* तुरंत रेलवे अधिकारियों को सूचित करना।
* पटरी और उसके आसपास के क्षेत्र से दूर रहना।
* किसी भी धातु की वस्तु के संपर्क में आने से बचना जो पटरी या बिजली के तार के संपर्क में हो सकती है।
* ट्रेन के अंदर रहने पर शांति बनाए रखना और अधिकारियों के निर्देशों का पालन करना।
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यह एक खतरनाक स्थिति है, लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि करंट पूरे देश की पटरियों में नहीं फैलेगा। त्वरित कार्रवाई और सावधानी से यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।