रायबरेली। ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में सिर्फ सर्दी और बुखार के मरीजों का इलाज तक ही सीमित है। विशेषज्ञ सेवाएं देने में विभाग पूरी तरह विफल रहा है। स्थिति यह है कि विशेषज्ञ चिकित्सकों के 70 फीसदी तक पद खाली पड़े हैं।
जिले में 107 विशेषज्ञ पदों पर मात्र 30 विशेषज्ञ कार्यरत हैं। इसमें कुछ के प्रमोशन के बाद सीएचसी में कार्यरत भी नहीं हैं। अन्य विशेषज्ञ पदों पर भी पद के संबंध में स्टाफ काम नहीं कर रहा है। ऐसे में मरीजों को जिला अस्पताल या एम्स रेफर किया जा रहा है।
जिले में हड्डी रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, सर्जन, नाक कान गला विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, हृदय रोग विशेषज्ञ सहित अन्य आवश्यक चिकित्सकों की भारी कमी है।
खासकर सीएचसी स्तर पर इनमें से प्रत्येक विभाग से एक-एक विशेषज्ञ चिकित्सक होना चाहिए, लेकिन कहीं-कहीं तो एक भी चिकित्सक नहीं है। ऐसे में सीएचसी स्तर पर मरीजों को विशेषज्ञ सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रसूताओं के ऑपरेशन भी नहीं हो रहे हैं। सिजेरियन डिलीवरी के लिए महिलाओं को जिला महिला अस्पताल का सहारा लेना पड़ता है।
सीएमओ ने सोमवार को सभी सीएचसी अधीक्षकों को पत्र जारी कर सख्त हिदायत दी है। सीएचसी से एम्स रेफर किए जाने वाले मरीजों को किसी भी समय सुबह 11 बजे तक रेफर कर दें। एम्स में देरी से पहुंचने से मरीजों को परेशानी हो रही है।
यही वजह है कि एम्स में मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल रहा है। यदि किसी मरीज को देर से रेफर किया जा रहा है तो इस संबंध में एम्स के उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुयश सिंह को सूचित किया जाए ताकि मरीजों को कोई परेशानी न हो.
जिला अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। यहां भी डॉक्टरों की कमी के कारण ओपीडी में आने वाले मरीजों को इमरजेंसी मरीजों को देखने के लिए डॉक्टरों के जाने के बाद खड़े होकर इंतजार करना पड़ता है. सोमवार को कई डॉक्टरों के ओपीडी कक्ष के बाहर मरीज डॉक्टरों का इंतजार करते दिखे। डॉक्टर के आने के बाद इलाज कराया।