राजस्थान: जयपुर के कब्रिस्तान में मुन्नी बदनाम हुई गाने पर नाटक कलाकारों के डांस पर विवाद


जयपुर के श्मशान घाट पर चिताओं के बीच मुन्नी का चर्चित डांस

जयपुर के श्मशान घाट पर चिताओं के बीच मुन्नी का चर्चित डांस
– फोटो : सोशल मीडिया।

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घटना जयपुर के प्रताप नगर हल्दीघाटी मार्ग श्मशान घाट में नाटक शमशान घाट के मंचन के दौरान हुई। यह मोक्षधाम नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आता है। एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि जिस धार्मिक श्मशान भूमि में लोग बड़ी आस्था और विश्वास के साथ अपने रिश्तेदारों का अंतिम संस्कार करते हैं, वहां इस तरह के नाच-गाने उचित हैं या अनुचित? क्या हमारा धर्म और संस्कृति इसकी इजाजत देती है? सवाल यह भी खड़ा हुआ है कि क्या यह सनातन और हिंदू धर्म संस्कृति के साथ भद्दा मजाक है, उन परिवारों के दिलों का क्या होगा जिनके अपनों की राख श्मशान घाट पर है, जहां मुन्नी बदनाम गीत नाचता था?

प्रताप नगर मोक्षधाम में नाटक का वीडियो वायरल हुआ

पड़ताल में पता चला है कि वायरल वीडियो जयपुर के प्रताप नगर मोक्षधाम का है। तीन दिन पूर्व मंगलवार की रात 8 बजे के बाद कुछ आमंत्रित लोगों व महिला दर्शकों की उपस्थिति में रंगकर्मियों ने ‘श्मशान घाट’ नामक नाटक का मंचन किया। इस दौरान बॉलीवुड गानों और डांस पर स्थानीय लोगों और हिंदू संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है।

विहिप महानगर अध्यक्ष ने कहा- आयोजक व कलाकारों पर केस दर्ज किया जाए

जयपुर में विश्व हिंदू परिषद के महानगर अध्यक्ष सांगानेर विभाग अर्जुन सिंह ने कहा- विहिप ऐसी गतिविधियों का विरोध करती है. ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। हिंदू धर्म और आस्था को ठेस पहुंची है। क्या श्मशान घाट पर इस नाटक को करने की अनुमति दी गई थी। अगर नहीं दिया तो आयोजन कैसे किया गया और अगर दिया गया तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। नगर निगम को इस नाटक के आयोजकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो इसका ध्यान रखा जाए। नाटक के आयोजक और कलाकारों के खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए।

श्मशान घाट पर नाटक में फिल्मी डांस से आस्था को ठेस पहुंची

श्मशान घाट पर इस नाटक के तरीके ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं कि दिन भर अर्थी जलाने के बाद जहां अस्थि विसर्जन के लिए कलश रखे जाते हैं, उसके सामने मंच सजाया गया. अंतिम संस्कार के लिए बने शेड के नीचे स्पीकर लगाए गए थे। दर्शकों के लिए मंच के सामने 150 कुर्सियां ​​भी रखी गई थीं। नाटक में जिन गीतों पर नृत्य दिखाया जाता था, वे आमतौर पर पार्टियों में बजाए जाते हैं। दोनों गाने सलमान खान की फिल्म ‘मुन्नी बदनाम हुई’ और ‘दिल दीवाना बिन सजना के’ से लिए गए हैं। नाराजगी व्यक्त करने वाले अधिकांश लोगों और वीएचपी कार्यकर्ताओं का तर्क है कि कला और कलाकारों का हमेशा सम्मान होता है लेकिन हमें किसी की धार्मिक आस्था, रीति-रिवाज, संस्कृति, श्रद्धा और आध्यात्मिक-सांस्कृतिक मूल्यों को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए। किसी की भावना आहत नहीं होनी चाहिए। यदि नाटक करना ही होता तो नाटक या फिल्म का कृत्रिम सेटअप लगाकर शमशान भूमि का दृश्य रचा जाता और नाटक का मंचन कर दूसरी जगह रिकार्डिंग की जाती। वास्तविक श्मशान घाट पर ऐसा करना गलत है। श्मशान घाट में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच ‘मुन्नी बदनाम हुई’ जैसे बॉलीवुड गानों पर डांस देख हर कोई हैरान है जहां लोग मौत पर आंसू बहाते हैं, चिताएं जलाई जाती हैं. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो पर नाराजगी जताते हुए लोग ऐसे कमेंट भी कर रहे हैं जिससे धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं.

नाटक के निर्देशक व लेखक ने कहा- उद्देश्य समाज की कुरीतियों को दूर करना है

नाटक के निर्देशक व लेखक जितेंद्र शर्मा ने तर्क दिया कि पहली बार शमशान घाट पर रात के अंधेरे में अनोखे ढंग से नाटक का मंचन किया गया है। नाटक का उद्देश्य समाज की कुरीतियों को दूर करना है। इसके लिए मोक्षधाम से अच्छा मंच नहीं हो सकता था। नाटक का नाम था ‘शमशान घाट’। यह सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। हमें नाटक के माध्यम से यह संदेश देना था कि मानव जीवन बहुत छोटा है। लेकिन लोग बुरे विचारों और बुरी आदतों के कारण अपना जीवन छोटा कर लेते हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि लोग अच्छे विचारों को अपनाएं और इंसानियत को आगे रखें। श्मशान घाट से ही हमारा संदेश बेहतर जा सकता था। ताकि लोग वहां आकर विषय को देख सकें, समझ सकें और उससे जुड़ सकें। स्वामी विवेकानंद केवल 40 साल जीवित रहे, लेकिन अपने अच्छे विचारों से जीवन को बहुत बड़ा बना दिया, हम इस नाटक के माध्यम से लोगों को यही संदेश देना चाहते थे।



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