महाशिवरात्रि 2023 का महत्व और मान्यताएं: ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास बताते हैं कि, महाशिवरात्रि हिंदुओं का एक धार्मिक त्योहार है। महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस साल महाशिवरात्रि 18 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी। इस दिन शिवभक्त व्रत- उपवास रखते हैं और विशेष रूप से भगवान शिव के देवता करते हैं।
शून्य से परे शिव का अस्तित्व है
हजारों सालों से विज्ञान ‘शिव’ के अस्तित्व को समझने का प्रयास कर रहा है। जब भौतिकता का मोह समाप्त हो जाता है और ऐसी स्थिति आ जाती है कि ज्ञानेंद्रियां भी बेकाम हो जाती हैं, उस स्थिति में शून्य आकार लेता है और जब शून्य भी अस्तित्वहीन हो जाता है तो वहां शिव का प्रत्यक्ष्य होता है। शिव यानी शून्य से परे। जब किसी व्यक्ति के भौतिक जीवन को त्याग कर मन से मनन करे तो शिव की प्राप्ति होती है। मामूली एकाकार और अलौकिक शिव के महारूप को उल्लास से मनाने का त्योहार है महाशिवरात्रि।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास हैं कि महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की विभिन्न पवित्र वस्तुओं से पूजन एवं अभिषेक किया जाता है और बिल्वपत्र, भांग, धतूरा, अबीर, गुलाल, बेर, उमड़बी आदि आदि प्रतिबद्ध किए जाते हैं। भगवान शिव को भांग अत्यंत प्रिय है। लोग उन्हें भांग भी चढ़ाते हैं। दिनभर व्रत का पूजन करने के बाद शाम के समय फलाहार किया जाता है। शिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा करने का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भोले को खुश कर लिया तो आपके सभी काम सफल होते हैं और सुख समृद्धि आती है। भोले के भक्त शिवरात्रि के दिन कई तरह से भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं। शिव को खुश करने के लिए शिवालयों में भक्तों का तांता लगता है, सभी बेलपत्र और जल चढ़ाकर शिव की महिमा गाते हैं।
महाशिवरात्रि से जुड़ी मान्यताएं
- महाशिवरात्रि को लेकर भगवान शिव से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन में ही ब्रम्हा के रूद्र रूप में मध्यरात्री को भगवान शंकर का अवतरण हुआ था।
- वहीं यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने तांडव कर अपनी तीसरी आंख खोली थी और ब्रम्हांड को इस आंख की ज्वाला से समाप्त किया था।
- इसके अलावा कई जगहों पर इस दिन भगवान शिव का विवाह भी जोड़ा जाता है और माना जाता है कि इसी पावन के दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था।
क्यों है खास महाशिवरात्रि
वैसे तो हर माह में शिवरात्रि होती है लेकिन फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी में आने वाली इस शिवरात्री का विशेष महत्व है, इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है। वास्तव में महाशिवरात्रि भगवान भोलेनाथ की आराधना का ही पर्व है। इस दिन लोग महादेव की विधि-विधान के साथ पूजन अर्चन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन शिव मंदिरों या शिवालयों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
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