
पूर्वांचल के किसान समागम में क्लिक करें भर्ती कुमार।
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कार्यक्रम था चौथी कृषि रोड पर किसान समागम का उद्घाटन। निवर्तमान कुमार एक-एक कर प्रगतिशील किसानों से उनका अनुभव सुन रहे थे। सलाह को नोट भी कर रहे थे। लेकिन, फिर एक मजदूर किसान असंख्य-सुनते बेरोजगार हो गए। कुछ देर बर्नचक रहे। फिर जैसे ही युवक ने अल्प-विराम लिया, न्यूक्लियर बोला। ऐसे बोलने लगे कि कुछ देर पहले अंग्रेजीदां हिंदी बोल रहे युवा किसानों की स्मार्टनेस गायब हो गई। उसे किसान समागम और बिहार, भारत के होश से बोलने की सीख दे डाली।
सीएम का प्लेइंग कार्ड- इंग्लैंड है? बताया- यह बिहार है
राजस्थान ने जावास्क्रिप्ट के अल्प-विराम को ही टोका- “एक बात जरा हम कहते हैं। यह क्या है! बिहार है ना जी! आप ज्यादा से ज्यादा बोल रहे हैं, अंग्रेजी शब्द का प्रयोग कर रहे हैं। यह क्या है? आप अपने राज्य के, अपने देश के हिंदी शब्द को भूल जाएंगे! आश्चर्य लग रहा है कि बिना मतलब के अंग्रेजी बोल रहे हैं! जब आप खेती करते हैं तो खेती तो आम आदमी करता है। आपको यहां सुझाव देने के लिए बुलाया गया है। आप आधे से ज्यादा अंग्रेजी बोल रहे हैं। इंग्लैंड है? यह भारत है ना जी। अब बोलिए बिहार ना? हम देख रहे हैं कि यह क्या हो गया है। जब से कोरोना आया है, तब से एक चीज जो हो गई। मोबाइल देखने लगा है सब। अपनी पुरानी भाषा को भूल रहा हूँ। नया-नया शब्द बोल रहा है। नया-नया शब्द बोल रहा है। इसलिए जरा बोलिए ठीक से। बोल ठीक हैं, लेकिन जरा राज्य की भाषा में बोलिए ना। हर चीज में अब बोल दे रहे हैं अंग्रेजी…यह ठीक नहीं है।
इन शब्दों को सुनकर चिढ़ गए थे निकुंकुश
बिहार के आम किसानों के बीच थे। एक किसान के अनुभव का लाभ दूसरे किसानों को मिला, इसके लिए बात हो रही थी। इसी बीच एक मार्केटिंग पेशेवर ने अपने शब्दों में अंग्रेजी शब्दों की सूची दी है। सपोर्ट मिला, रिसर्च करना शुरू किया, प्रोसेस ट्रेनिंग के दौरान, ट्रेनिंग को एक्सटेंड किया, मांग प्रोडक्शन का काम, समस्या सामने आई, प्रॉब्लम बताता है, जैसा चाहें चाहते हैं, प्रोडक्शन में जो प्रॉब्लम आ रहा है, इंसेंटिवाइज करें, इंसेंटिवाइज मॉडल बनाएं जाओ, सीखने के बाद क्या निर्धारित होता है, इंसेंटिवाइजेशन मॉडल इनवॉल्व किया गया, प्रोडक्शन को कन्ज्यूम किया, असली डाला…आदि सुनने का अंत जैसे ही अल्प-विराम लिया तो शब्द ने सीख दे डाली।