बिहार :कोविड़ में बिजनेस का घाटा उबारने के लिए रची अपहरण की साजिश, ऐसा खतरा हमारे-आपके आसपास तो नहीं


मुजफ्फरपुर के डॉक्टर के बेटे के अपहरणकर्ता

मुजफ्फरपुर के डॉक्टर के बेटे के अपहरणकर्ता
– फोटो : अमर उजाला

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कोविड और वजह से पूरे देश में लॉकडाउन एक आपातकालीन व्यवस्था बन गई थी जिसमें कई लोग उसके अनुमान हो गए थे। बहुत से लोगों की नौकरी छूट गई, व्यवसाय बंद हो गए जिसके कारण लोग आर्थिक रूप से टूट गए। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आसान तरीके और आसान शिकार खोजकर लोग गलत रास्ते अख्तियार कर लें। मुजफ्फरपुर के होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ एसपी सिंह के बेटे विवेक कुमार के अपहरण की ऐसी ही बुनियाद पर पहुंच गए। जानिए वो कहानी जो अब तक किसी ने भी आपको नहीं सुनाई।

मुजफ्फरपुर के पुलिस अपहरण के मामले में चौकीदार भोजपुर के गढ़नी थाना क्षेत्र पहुंचे जहां से भोजपुर और मुजफ्फरपुर पुलिस ने अपहृत युवक को देवी स्थान के छत से बरामद किया। साथ ही तीन अपहरणों को भी गिरफ्तार किया गया। उन अपहृतों में सत्यम कुमार, नारायणपुर थाना क्षेत्र के नारायपुर गांव के निवासी राधेश्याम और चरपोखरी निवासी चंदन कुमार हैं। मास्टर माइंड सन सहित अब तक चार ग्रैफ्टरी पुराने हो चुके हैं। पुलिस के अनुसार सत्यम भोजपुर के अपराधी हैं और अरवल के आदित्य कुमार ठीक सूर्य और सत्यम में पूर्व से मित्रता रखते थे।

कोरोना से नुकसान और बैंक लोन से बचने के लिए आसान रास्ते

कोरोना में काम बंद हो जाने की वजह से सूरज ने बैंक से लाखों का लोन लिया था। इसी इलाके को चुकाए जाने के लिए अपहरण का रास्ता चुना गया, जो आज उसे ट्रिम के पीछे खींच लिया गया।

सभी को 70 हजार पर किए गए

रकम की तंगी से काफी परेशान रवि ने यह योजना बनाई कि अपने घर के मालिक डॉक्टर एसपी सिंह के बेटे विवेक को किडनैप कर लें और उसके पिता से मोटी रकम ले ले लें, जिसके बाद उसकी सारी परेशानियां खत्म हो जाती हैं। मास्टरमाइंड रवि ने अपने सभी आरा के रहने वाले दोस्तों के साथ इस अपहरण का प्लान बनाया और सभी दोस्तों को 70- 70 हजार रुपये देने की बात पर करार कर लिया।

विवेक आसान शिकार था

सूर्य के लिए विवेक आसान शिकार था। इसके तीन कारण थे। पहला यह कि विवेक बहुत ज्यादा सुस्त लड़का था। इस वजह से उन्हें आसानी से उस पर कंट्रोल किया जा सकता था और दूसरा यह कि डॉक्टर वह एसपी सिंह का सिंगलौता बेटा था जिस वजह से मुंहमांगी कीमत मिल सकती थी। और तीसरा यह कि उन्होंने दावा किया कि उनका मालिकाना हक था, इस वजह से कोई भी उस पर शक नहीं कर सकता था।

अपहृत अपराध के पास विवेक कोहन की जगह नहीं थी

यह सभी अपराध की दुनिया में पहली बार कदम रख रहे थे इसलिए इस अंधे कुंए में विवेक को छिपाने के लिए जगह कम पड़ रही थी। इस वजह से शुक्रवार की रात जब ये लोग मुजफ्फरपुर से आरा तब पहुंचे कोई सुरक्षित जगह ना होने की वजह से विवेक को नारायणपुर थाना क्षेत्र के नारायणपुर के खेत में रखा गया। अगली सुबह उसे लेकर अगिआंव बाजार के मोड़ के पास स्थान देवी के मंदिर के ऊपर रखा। लेकिन पुलिस ने उन पर कार्रवाई करते हुए अपहृत युवक विवेक कुमार को प्रभावी ढंग से बरामद कर लिया और तीनों अपहरणों को अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार कर लिया।

भोजपुर के दो अपराधी अभी भी भ्रासा

इस अपहरण कांड में शामिल दो अन्य अपराधी अभी भी भिया हैं। ये दोनों भी भोजपुर जिले में ही रहने वाले हैं। भोजपुर पुलिस उन दोनों दस्तावेजों की दस्तावेजों पर नजरबंदी के लिए लगातार दस्तावेज कर रही है। इस मामले में भोजपुर एसपी प्रमोद कुमार का कहना है कि मुजफ्फरपुर और भोजपुर पुलिस की मदद से युवक बरामद किया गया है।



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