दाल-चावल, रसगुल्ला… बेगूसराय के युवाहरु 5 रुपये में रिकॉर्डिंग को खिलाते हैं खाना


रिपोर्ट। नीरज कुमार
बेगूसराय: बिहार में बेगूसराय की पहचान औद्योगिक नगरी के रूप में है। इसलिए यहां मजदूर जीवन यापन के लिए अन्य जाली से भी आते हैं। इन रंगों के साथ-साथ सदर अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले गरीबों के परिजन, भिखारी, कारकों के अभाव में अपनी भूख को नहीं मिटाते हैं। बेगूसराय शहरी क्षेत्र में कोई भी भूखा न रहकर नौकरी करने वालों ने पहल की है। कुछ युवा साथी मिलकर साइं की रसोई बनाने वाले लोगों को खाना बनाते हैं।

बेगूसराय के पांच साथियों ने मिलकर 29 अगस्त 2019 को वैज्ञानिकों की रसोई को शुरू किया। तब से लेकर अभिलेखों के भोजन कर रहे हैं। खास बात यह है कि इसके लिए ये अपनी साक्षरता और लोग दान के समर्थन से खर्च करते हैं।

दिल्ली की दादी की रसोई से मिली जानकारी
बेगूसराय में अस्पताल के सामने जिले के पांच बेरोजगारों द्वारा ये रसोई संचालित की जा रही है। इसके ठीक पहले अमित जयसवाल ने न्यूज 18 लोक को बताया कि किशन गुप्ता, अमित जयसवाल, नितेश रंजन, निखिल और पंकज ने मिलकर 29 अगस्त 2019 को सुबह 8 बजे शुरुआत की थी। तब से आज तक लगातार 8 बजे शाम को खाना खाया जा रहा है। अभी वर्तमान में साईं की रसोई में 30 युवा जुड़े हुए हैं। इसका मकसद है कि वैसे लोगों को खाना खिलाना है ताकि भूखा ना सोए। दिन भर में 150 से अधिक दिनों को खाना खिलाया जाता है। जिसमें स्थानीय भिखारी भी शामिल होते हैं। बेगूसराय के धूम्रपान करने वालों को यह आईडिया दिल्ली में चल रही दादी की रसोई से मिला।

5 रुपये में मिलता है भरपेट व्यंजन, नहीं हैं पैसे फिर भी मिलेंगे
साईं की रसोई के कैश काउंटर देख रहे निखिल राज ने बताया कि टोकन मनी के तौर पर खाने के लिए सिर्फ 5 रुपए लिए जाते हैं। जिनके पास पैसे नहीं होते, उनके बारे में भी पता चलता है। किसी को निराश नहीं लौटाया जाता है। खाने का स्टॉल हर दिन सुबह 8:00 से 9:00 बजे तक चलता है। यहां दाल-चावल, रसगुल्ला के अलावा और भी कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजन दिए जाते हैं. भोजन कर रहे रामविलास राम ने कई महीनों से बताया है कि यहां के भोजन काफी स्वादिष्ट होते हैं।

साई की रसोई में चंदा कर चलता है
साईं की रसोई के संस्थापक सदस्यों में शामिल नितेश रंजन ने अपनी टीम के साथ एक साल तक विचार करने के बाद इसकी शुरुआत की। शुरू करने से अगले 3 महीने तक लहूलुहान धन राशि की भी व्यवस्था चंदा से पहले कर ली गई थी। इसे चलाने में 75 से 80 हजार हर माहाह लगता है।

टैग: बेगूसराय न्यूज



Source link

Leave a Comment