चाणक्य नीति: पति-पत्नी एक दूसरे के पूरक हैं लेकिन चाणक्य कहते हैं नीति हैं कुछ ऐसी खास बाते हैं जो अपने पति को भूलकर भी नहीं बताना चाहिए। इनका जिक्र करने पर कई तरह के करोड़ों लोगों का सामना करना पड़ता है।
पत्नी पति को न बताएं ये बातें
- चाणक्य कहते हैं कि राक्षसों से शादी करने के बाद उनकी सुसुराल की बुराई और माईके, साथ ही मेरे मायके के राज सुसुराल में बताना चाहिए। इन बातों का जिक्र पति से भी नहीं करें। इससे दोनों परिवार के बीच परदेश की स्थिति बन सकती है। इसका बुरा प्रभाव पति-पत्नी के संबंधों पर भी पड़ता है और अनुबन्ध जीवन में खटास आ जाता है।
- दान का फल तभी मिलता है जब एक हाथ से दिए गए दान का दूसरे हाथ को पता भी नहीं चलता। कहने का अर्थ है दान का कभी गुणगान न करें, इससे उसका प्रभाव समाप्त हो जाता है। ऐसे में पत्नी अगर दान करें तो पति से इस बात का जिक्र न करें।
- चाणक्य के अनुसार पत्नी को पति या खुद की कमाई का कुछ हिस्सा बचत के तौर पर संभालना चाहिए और इसका जिक्र पति से भी नहीं करें। ये पैसा परिवार की मुश्किल घड़ी में काम आता है। अगर ऐसा नहीं है तो सेविंग्स पर किसी भी कारण से खर्च हो सकता है।
अनुबन्ध जीवन को सफल बनाने के लिए करें ये काम
- पत्नियों को कभी अपने पति की तुलना किसी अन्य पुरुष से न करें। चाणक्य कहते हैं कि ऐसा करने पर पति के मान-सम्मान को ठेस पहुंचती है और विवाहित जीवन में तनाव पैदा होता है। ये बात पतियों पर भी लागू होती है।
- चाणक्य के अनुसार पति-पत्नी दोनों को एक-दूसरे के प्रति अनुशासित व्यवहार रखना चाहिए। एटाटा से व्यक्तित्व पर राज कर सकते हैं। व्यवहारिक व्यवहार क्रोध को दूर कर देता है जिससे आपमें समान होने की संभावना कम होती है।
- चाणक्य कहते हैं कि क्रोध पर नियंत्रण रखने से मित्रता जीवन सफल होता है। व्यक्ति जब क्रोधित होता है तो अच्छे और बुरे का भेद नहीं पाता। ऐसे में धोखे में सेंध लगाई जा सकती है।
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