चाणक्य नीति: चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य के जीवन में आशा और निराशा का मिश्रण है। संसार में पांच ऐसी चीजें हैं जो समय-समय पर व्यक्ति के दुख और सुख का कारण बनती हैं। ये हैं धन, तन, मन, बुद्धि और अध्यात्म। यह हम पर स्थायी है कि हम किस दृष्टिकोण को अपनाते हैं। सुखी जीवन ही सफलता की अहम कड़ी होती है लेकिन अगर निराशा के भंवरजाल में फंसकर यह चिंता करें कि हम सफल हो जाएंगे या नहीं, तो जीवन में टूटेंगे। चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से मृत्यु से भी बड़ी परेशानी देने वाली चीजों का उल्लेख किया है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति की समझदारी ही उसे सुख प्रदान कर सकती है।
वरं प्राणपरित्यागो मानभङ्गान जीवनात्।
प्राणत्यागे क्षणां मान दुःखभङ्गे दिने दिने॥
मृत्यु से भी कष्टदायी होता है तिस्कार
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मृत्यु को उपेक्षा से श्रेष्ठ मानते हैं, वे कहते हैं कि मृत्यु केवल पल भर का दुख देती है लेकिन ज़िल्लत की ज़िंदगी लोगों को तिल-तिल मारती है। इंसान हर दिन अंदर ही अंदर खोखला बनता है। इस बयान से चाणक्य ने कहा है कि जो आपके सम्मान से समझौता करते हैं उन्हें दिन में अपमान झेलना पड़ता है। ऐसे लोग अपमान का कड़वा घूंट पीकर जीवन बयान करते हैं, बार-बार अपमान सहने वाले मनुष्य का समाज में ओहदा भी कम होता है, लोग भी उस मनुष्य को देखकर यहां तक कि अपने साथ छोड़ देते हैं।
अपमान का ऐसे लें बदला
चाणक्य कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को नज़रअंदाज़ करता है तो उसे एक बार सहना समझदारी है। दूसरी बार अपमान को सहन करना उस व्यक्ति के महान होने का परिचय देता है, लेकिन अगर तीसरी बार भी बेइज्जती सहनी पड़ती है तो ये व्यक्ति की मूर्खता कहलाती है। जब कोई आपका अपमान करे तो उसकी भाषा में जवाब न दें क्योंकि विरोधी आपके हर वार के लिए तैयार रहता है। चाणक्य कहते हैं कि बेइज्जती का बदला लेना हो तो दुश्मन के सामने आपकी एक जिम्मेदारी की आपका सबसे बड़ा हथियार है। आप बिना किसी ईमेल के उसे गहरा चोट पहुंचा सकते हैं।
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