कुंडली में ज्योतिष शास्त्र केमद्रुम योग: ज्योतिष शास्त्र में किसी व्यक्ति के भाग्य का विश्लेषण उसका कुंडली में बनने वाले शुभ और अशुभ योगों के माध्यम से किया जाता है। ऐसे ही अशुभ योग में एक है ‘केमद्रुम योग’ (केमद्रुम योग)। इसे ज्योतिष में सबसे अधिक अशुभ योगों की श्रेणी में रखा गया है। इस योग की अशुभता इतनी अधिक होती है कि, जिस जातक की कुंडली में यह योग होता है उसके शुभ योगों के फल भी निष्क्रिय हो जाते हैं। जानिए कुंडली में कैसे बनता है केमद्रुम योग और इसका प्रभाव।
दुर्भाग्य का प्रतीक है केमद्रुम योग
वेद में कहा गया है ‘चन्द्रमा मनसोजाश्चक्षो सूर्यो अजायत’। यानी चंद्रमा के व्यक्ति का स्वामी होता है। मन का स्वामी होने के कारण यदि किसी जन्मकुंडली में चंद्रमा की स्थिति प्रतिगमन हो तो ऐसी स्थिति में वह दोषपूर्ण स्थिति होती है और उसे मन और मस्तिष्क से संबंधित परेशानियां होती हैं। कामद्रुम योग भी चंद्र ग्रह के अशुभ प्रभावों के कारण बनता है। इस योग के कारण व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार हो सकता है। उसी के साथ व्यक्ति को हमेशा अज्ञात भय सताता है। ज्योतिष के कई विद्वानों द्वारा केमद्रुम योग को दुर्भाग्य का प्रतीक कहा गया है।
“केमद्रुमे भवति पुत्र कलत्र हीनो देशान्तरे ब्रजती दुःखसमाभितप्तः।
ज्ञाति प्रमोद निरतो गुणो कुचैलो नीचः भवति सदा भीतियुतश्चिरायु”
यानी, जिसका कुंडल में केमद्रुम योग होता है, वह पुत्र कलत्र से हीन अटल उद्र भटकने वाला, दुख से अति पीड़ित, बुद्धि और खुशी से हीन, मलिन वस्त्र धारण करने वाला, नीचा और कम उम्र वाला होता है।
सर्पिल में कैसे बनता है केमद्रुम योग
जब कुंडली में चंद्रमा किसी भाव में अकेला खड़ा हो जाता है तो उसके आगे या पीछे के भाव में कोई ग्रह न हो और चंद्र के ऊपर किसी ग्रह की दृष्टि न हो तो ऐसे में केमद्रुम योग का निर्माण होता है। लेकिन ऐसी स्थिति में यह देखना जरूरी हो जाता है कि चंद्रमा किस राशि में स्थित है और उसके अंश क्या हैं। यदि चंद्रमा की स्थिति कमजोर है तो ऐसी स्थिति में केमद्रुम अशुभ योग होने के बावजूद भी बहुत प्रतिक्षेप फल योग्य नहीं होगा।
ऐसी स्थिति में शुभ संकेत देता है केमद्रुम योग
केमद्रुम योग हमेशा अशुभ फल ही नहीं देता बल्कि इससे शुभ सीजन भी लग जाता है। अगर किसी कि कुंडली में जब गजकेसरी, पंचमहापुरुष जैसे शुभ योगों की अनुपस्थिति हो तो केमद्रुम योग से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता, यश और प्रतिष्ठा की प्राप्ति हो सकती है। वहीं इस योग से हमेशा ही बुरा फल नहीं मिलता बल्कि इस योग से व्यक्ति को जीवन में संघर्ष से जूझने की क्षमता और आत्मबल भी मिलता है। इसलिए इससे अधिक आत्मिक होने की आवश्यकता नहीं है। ज्योतिष में कामद्रुम योग के अशुभ प्रभावों को कम करने के उपायों के बारे में भी बताया गया है, जोकि इस प्रकार से हैं-
- सोमवार के दिन शिवजी का पूजन और रुद्राभिषेक करें और संभव हो तो व्रत रखें।
- शनिवार को शाम को पीपल वृक्ष के पास सरसों तेल के दीप जलाएं।
- सोमवार के दिन हाथ में सिल्वर का कड़ा रुख अपनाएं।
- एकादशी का व्रत रखने से भी केमद्रुम योग के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।
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