गंदा आगमन देख कल्याण को बुलाओ।
फुले फुले ने चुना, कलि हमारा समय।
कबीरदास जी कहते हैं कि बाग में कलियाँ जब आती हैं और माली को देखती हैं तो आपस में बातें करती हैं कि आज माली ने फूल तोड़े कल हमारी भी बारी आएगी। कबीर दास जी समझाना चाहते हैं कि आज तुम जवान हो, कल तुम भी बूढ़े हो जाओगे और मिट्टी में मिल जाओगे।
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